आखिर क्या है, नैनीताल बचाओ अभियान ? और किसलिए पड़ी इस अभियान की जरुरत ? ये सवाल लाजिमी है। लेकिन नैनीताल को करीब से जानने वाले समझते हैं, कि नैनीताल को बचाना ज़रुरी क्यों है ? बुजुर्ग बताते हैं, नैनीताल काफी बदल गया है। आप कहेंगे हर शहर एक दौर के बाद बदलता ही है, तो इसमें नया और अनोखा क्या है ? लेकिन इस सवाल का जवाब समझने से पहले ज़रुरी है कि नैनीताल शहर के भूगोल को समझा जाए।
नैनीताल तीन ओर पहाड़ों से घिरा है, बीच में झील है। पहाड़ियों में मकान पहले भी थे, लेकिन लोगों के बढ़ने से इन मकानों की संख्या भी काफी बढ़ गयी है। ज़ाहिर है पेड़ कटते जा रहे हैं। निर्माण कार्यों के लिए खुदाई हो रही है, जिससे पहाड़ ढीले होते जा रहे हैं। non में पानी के साथ पहाड़ की मिट्टी नीचे को दरक जाती है। ये मिट्टी बहकर सीधे झील में पहुंच जाती है। सालों से जारी इस प्रक्रिया ने झील की जल संग्रहण क्षमता को कम कर दिया है। इसकी वजह से दुनिया भर में मशहूर सुंदर झील का पानी गर्मियों के दिनों में काफी सूख जाता है।
लोग साल दर साल बढ़ रहे हैं। बढ़े लोग पहले से ज्यादा कचरा पैदा करते हैं। फास्ट फूड के जमाने में कचरे की किसी को परवाह नहीं। रोज टनों के हिसाब से कचरा पैदा हो रहा हैं। लोग जरा भी परवाह नहीं करते कि उनके कचरे से एक शहर तबाह हो रहा है। नैनीताल में रहने वाले भी खूब कचरा बना रहे हैं। लोग उस वक्त और ज़्यादा कचरा पैदा करते हैं, जब उन्हें अपने शहर से प्यार नहीं होता। नैनीताल घूमने आने वाले पर्यटकों से ये उम्मीद बेमानी है, वो चिंता नहीं करेंगे। हां जब विदेशी इस शहर में आते हैं, तो वो याद रखते हैं, कि कचरा कहां डालना है।
लेकिन हम नहीं समझते। ये भी नहीं समझते कि ये कचरा फैल-फैलकर एक खूबसूरत शहर को बदहाल कर रहा है।
शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2009
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